कुपवाडा हमले के बाद सैनिकों पर पत्थरबाजी

नई दिल्ली/श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर सेना के कैंप को निशाना बनाया। गुरुवार को कुपवाड़ा में हुए हमले में तीन सैनिक हुतात्मा हो गए। इतना ही नहीं कुपवाड़ा हमले में कैप्टन समेत तीन सैनिक खोने वाली सेना को पत्थरबाजों का भी सामना करना पड़ा। हमले वाली जगह पर सर्च ऑपरेशन चला रही सेना पर कुछ स्थानीय लोगों ने पत्थरबाजी की। बीते कुछ समय से घाटी में बढ़ते आतंकी हमले और सुरक्षाबलों पर पथराव की घटनाओं ने मोदी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। पिछले साल ८ जुलाई को लश्कर कमांडर बुरहान वानी के खात्मे के बाद से कश्मीर के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से गुरुवार को एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई।

यह मीटिंग जम्मू-कश्मीर को दिए विकास पैकेज के सही उपयोग की समीक्षा और कुछ दूसरे मुद्दों पर बुलाई गई थी, परंतु अब माना जा रहा है कि, घाटी के हालात से निपटने के लिए आगे की रणनीति की रुखरेखा बनाने पर भी चर्चा हुई । सूत्रों के अनुसार,, राजनाथ की इस बैठक में अफसरों के अलावा सेना, पुलिस, अर्धसैनिक बलों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। राजनाथ की मीटिंग ऐसे समय में हुई, जब कुछ समय बाद ही अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। घाटी में सुरक्षाबलों के सामने लगातार बढ़ रही चुनौतियों के मद्देनजर यह बैठक बेहद महत्त्वपूर्ण है।

सीख नहीं ले रही सरकार ?

रक्षा प्रतिष्ठानों पर बार-बार हमलों के बावजूद रक्षा मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा में सुधार करने के लिए ‘ईमानदारी से कदम’ नहीं उठाया है। यह कहना है भाजपा के वरिष्ठ नेता मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी (रिटायर्ड) की अगुवाई वाली संसद की एक हाई-पावर संसदीय समिति का। कुछ समय पहले रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय पर कई तल्ख टिप्पणियां की थीं। समिति ने कहा था कि, पठानकोट आक्रमण के बाद मंत्रालय ने आवश्यक कदम नहीं उठाए।

क्यों बड़ी चुनौती ?

बीते कुछ समय में कश्मीर में हालात बदतर हो चले हैं। हालात खराब होने की मुख्य कारण आतंकवादी हमलों के साथ साथ पाकिस्तान प्रायोजित अशांति भी है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के अनुसार, सोशल मीडिया का उपयोग करके लोगों को सड़कों पर उतरने की अपील की जा रही है। युवाओं को पथराव करने के लिए उकसाया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, ९० के दशक के बाद बीते एक साल में सबसे ज्यादा युवा पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से जुडें है।

पत्थरबाजी, एनकाउंटर में दखल बढी

पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका घाटी के युवाओं के सिस्टम और सरकार में भरोसे को कम करने में सफल रहे हैं। बीते कुछ समय में बढ़ी पत्थरबाजी इसका बड़ा उदाहरण है। हालात तो और बिगड़े नजर आए, जब सप्ताह भर पहले ही कश्मीर में सुरक्षाबलों पर लड़कियां की जमकर पत्थरबाजी करने की तस्वीरें सामने आईं। वहीं, दूसरी ओर आतंकियों और सैनिकों के मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा बाधा पहुंचाने के मामले भी काफी तेजी से बढ़ गए। कुछ घटनाएं तो ऐसी हुईं, जहां एनकाउंटर में दखल रहे आम नागरिकों को जान गंवानी पड़ी।

खुलेआम घूम रहे आतंकी

माना जा रहा है कि, आतंकी समूहों से जुडने वाले इन नए युवकों को पहले के मुकाबले आम जनता का बेहतर समर्थन प्राप्त है। आम लोग न केवल इनको भोजन और दूसरी सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं, वहीं समय पड़ने पर आसरा और भागने में मदद भी देते हैं। घाटी के कुछ इलाकों में आतंकियों के बंदूकों के साथ खुलेआम घूमने की भी तस्वीरें सामने आई हैं। इंटेलिजेंस के सूत्रों के अनुसार, अब विभिन्न संगठनों के आतंकी एकजुट होकर भारत विरोधी गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं।

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